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June 2025

मदिराक्षी मुंडले: पौराणिकता की नई पहचान, देवी दुर्गा के रूप में उनकी भव्य वापसी

भारतीय टेलीविजन पर पौराणिक किरदारों का चित्रण एक गहन जिम्मेदारी है. ऐसे किरदारों को निभाने के लिए केवल अभिनय प्रतिभा ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक समझ, गरिमा और एक विशेष प्रकार की आभा की आवश्यकता होती है. इन गुणों को खूबसूरती से आत्मसात करने वाली अभिनेत्री मदिराक्षी मुंडले एक बार फिर दर्शकों के सामने एक दिव्य अवतार में लौट रही हैं. इस बार देवी दुर्गा के रूप में। यह न केवल उनकी अभिनय यात्रा में एक नया अध्याय है, बल्कि भारतीय पौराणिक टेलीविजन जगत के लिए भी एक महत्वपूर्ण क्षण है. पौराणिक भूमिकाओं की पहचान मदिराक्षी मुंडले की टेलीविजन यात्रा “सिया के राम” से शुरू हुई थी, जिसमें उन्होंने माता सीता की भूमिका निभाई. यह किरदार केवल एक ऐतिहासिक पात्र नहीं था, बल्कि सहनशीलता, त्याग, प्रेम और स्त्रीत्व की सबसे ऊँची मिसाल था. मदिराक्षी ने इस भूमिका में जिस गरिमा, संयम और कोमलता का परिचय दिया, उसने दर्शकों को गहराई से प्रभावित किया. उनके शांत अभिनय ने न केवल उन्हें घर-घर तक पहुँचा दिया, बल्कि उन्हें पौराणिक किरदारों की अद्भुत दायिनी के रूप में स्थापित किया. इसके बाद, उन्होंने राधा, लक्ष्मी, पार्वती और द्रौपदी जैसे महत्वपूर्ण पौराणिक पात्रों को भी निभाया. हर बार उन्होंने यह साबित किया कि वह न केवल एक खूबसूरत चेहरा हैं, बल्कि एक समर्पित कलाकार हैं जो हर भूमिका को अपने भीतर आत्मसात कर लेती हैं। उनके अभिनय में एक अद्भुत संतुलन होता है. शक्ति और कोमलता का, भक्ति और साहस का. देवी दुर्गा के रूप में नवरूपों की प्रस्तुति अब जब मदिराक्षी दुर्गा की भूमिका में आ रही हैं, तो यह न केवल उनके लिए बल्कि उनके प्रशंसकों के लिए भी अत्यंत उत्साहजनक क्षण है। दुर्गा केवल एक देवी नहीं, बल्कि स्त्री शक्ति की प्रतीक हैं. माँ, योद्धा, सृजनकर्ता और संहारक का अद्वितीय संगम। उन्हें नौ रूपों में पूजा जाता है. शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि और महागौरी हर रूप एक विशेष गुण और भावनात्मक ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है. इन सभी नौ रूपों को पर्दे पर सजीव करना केवल अभिनय का कार्य नहीं है, यह एक आध्यात्मिक यात्रा भी है. इसके लिए जिस प्रकार की तैयारी और मानसिक समर्पण की आवश्यकता होती है, वह केवल वही कर सकता है जिसे इस कार्य के प्रति श्रद्धा हो और मदिराक्षी इस कसौटी पर पूरी तरह खरी उतरती हैं. अभिनय के साथ आत्मा का मेल मदिराक्षी की सबसे बड़ी ताकत यह है कि वह किसी भी पौराणिक किरदार को केवल अभिनय के रूप में नहीं लेतीं, बल्कि उसके मूल गुणों को अपने भीतर समाहित करती हैं. यही कारण है कि जब वह पर्दे पर आती हैं, तो दर्शक केवल एक अभिनेत्री को नहीं देखते वे एक जीवित चरित्र से जुड़ते हैं. दुर्गा के रूप में उनके द्वारा प्रदर्शित की जाने वाली शक्ति, क्रोध, ममता और करुणा की विविध भावनाएं दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देंगी. दुर्गा के रूपों में जिस तरह से नारी शक्ति के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया गया है, उसे पूरी गरिमा और वैभव के साथ प्रस्तुत करने का कार्य कठिन है, लेकिन मदिराक्षी के अनुभव और समर्पण को देखते हुए इसमें कोई संदेह नहीं कि वह इसे संपूर्णता के साथ निभाएंगी. दर्शकों की उम्मीदें और प्रतिक्रियाएँ सोशल मीडिया पर पहले ही मदिराक्षी की इस भूमिका को लेकर उत्साह का माहौल है. प्रशंसक उनकी पहली झलक का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं. “माँ दुर्गा” के रूप में उनका लुक, संवाद और प्रस्तुति किस तरह होगी, यह देखने के लिए लोग उत्सुक हैं. टेलीविजन के इस युग में जहाँ पौराणिक कथाओं को आधुनिक तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है, वहाँ एक सशक्त अभिनेत्री का होना आवश्यक है जो इस संतुलन को बखूबी साध सके – और मदिराक्षी इसके लिए उपयुक्त विकल्प हैं. उनके प्रशंसक मानते हैं कि यह भूमिका उनके करियर की सबसे चुनौतीपूर्ण और यादगार भूमिकाओं में से एक होगी. इससे पहले भी उन्होंने जिन किरदारों को निभाया है, वे सभी आज भी दर्शकों के दिलों में बसे हुए हैं। ऐसे में देवी दुर्गा का किरदार उन्हें एक बार फिर दर्शकों के दिलों में और गहराई से बसा देगा. करियर का स्वर्णिम अध्याय यह भूमिका मदिराक्षी के लिए केवल एक नई शुरुआत नहीं है, बल्कि यह उनके करियर में एक स्वर्णिम अध्याय है. एक कलाकार के लिए हर किरदार एक नई खोज होता है. स्वयं के भीतर झाँकने और खुद को एक नए दृष्टिकोण से देखने का अवसर. देवी दुर्गा की भूमिका न केवल उन्हें एक विशाल मंच दे रही है, बल्कि उन्हें आध्यात्मिक रूप से भी समृद्ध कर रही है. आज जब दर्शक अधिक संवेदनशील और सजग हो गए हैं, वे न केवल कथानक में रुचि लेते हैं, बल्कि यह भी देखना चाहते हैं कि कलाकार अपने किरदार को कितनी प्रामाणिकता से निभा रहे हैं. मदिराक्षी इस कसौटी पर पहले भी खरी उतरी हैं, और इस बार भी उनसे यही अपेक्षा की जा रही है.

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लाफ्टर शेफ्स 2′ की शूटिंग के दौरान इस एक्ट्रेस के साथ दो बार हुआ हादसा?

टेलीविजन एक्ट्रेस रीम शेख ‘लाफ्टर शेफ्स 2’ की शूटिंग के दौरान फिर से घायल हो गईं। उन्होंने अपने घायल पैर की तस्वीर शेयर करते हुए फैंस को अपडेट दिया। टीवी अभिनेत्री रीम शेख हाल ही में ‘लाफ्टर शेफ्स 2’ के सेट पर एक और चोटिल हो गईं हैं। 23 मई, 2025 को उन्होंने इंस्टाग्राम पर अपनी घायल टांग की तस्वीर साझा की और लिखा, “लाफ्टर शेफ के शूट के बाद यह सामान्य बात है।” इससे पहले, सितंबर 2024 में रीम के चेहरे पर गर्म तेल के छींटे पड़ने से गंभीर जलन हो गई थी। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी चोट की तस्वीरें साझा की थीं और लिखा था, “अल्लाह का शुक्र है, वर्ना यह हादसा मेरी जिंदगी बदल सकता था।” चेहरा जलने की घटना सितंबर 2024 में ‘लाफ्टर शेफ’ के सेट पर रीम शेख के साथ एक गंभीर हादसा हुआ था। कुकिंग के दौरान गर्म तेल उनके चेहरे पर गिर गया, जिससे उनकी त्वचा जल गई। रीम ने सोशल मीडिया पर अपनी जलन की तस्वीरें साझा कीं और लिखा, “अल्लाह का शुक्र है, वर्ना यह हादसा मेरी जिंदगी बदल सकता था।” उनकी इस साहसिकता की प्रशंसा करते हुए, उनके सह-कलाकारों और प्रशंसकों ने उन्हें शुभकामनाएं दीं। पैर में चोट हाल ही में, 23 मई 2025 को रीम ने इंस्टाग्राम पर अपनी घायल टांग की तस्वीर साझा की और लिखा, “लाफ्टर शेफ के शूट के बाद यह सामान्य बात है।” इससे पहले, सितंबर 2024 में रीम के चेहरे पर गर्म तेल के छींटे पड़ने से गंभीर जलन हो गई थी। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी चोट की तस्वीरें साझा की थीं और लिखा था, “अल्लाह का शुक्र है, वर्ना यह हादसा मेरी जिंदगी बदल सकता था।” रीम शेख के साथ हुई ये घटनाएँ यह दर्शाती हैं कि पेशेवर प्रतिबद्धता और साहस किसी भी कठिनाई से ऊपर होते हैं। चाहे चेहरा जलने की घटना हो या पैर में चोट, रीम ने हर चुनौती का सामना किया और अपने काम में सक्रिय रहकर यह सिद्ध कर दिया कि उनका पेशेवर रवैया और साहस प्रशंसा के योग्य हैं।

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राम-सीता की अनकही कहानियां अब डी न्यूज़ पर, रामानंद सागर के पोते लेकर आए काकभुशुण्डि रामायण

रामानंद सागर की “रामायण” की ऐतिहासिक सफलता किसी से भी छिपी नहीं है। काकभुशुंडी रामायण, जिसे ‘काकभुशुंडी रामायण अनटोल्ड स्टोरीज़’ के नाम से भी जाना जाता है, एक नया और अत्याधुनिक टीवी धारावाहिक है जो 18 नवंबर 2024 से दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल यानी डीडी नेशनल पर प्रसारित हो रहा है। यह शो रामानंद सागर के 1988 में प्रसारित रामायण की विरासत को आगे बढ़ाते हुए, भगवान श्रीराम के परम भक्त काकभुशुंडी के दृष्टिकोण से रामायण की अनकही कहानियों को प्रस्तुत करता है। काकभुशुण्डि सीरियल सोमवार से गुरुवार तक शाम 7:30 बजे पर प्रसारित किया जाता है। इस शो की विशेषताएं ‘काकभुशुंडी रामायण’ का निर्माण सागर वर्ल्ड मल्टीमीडिया द्वारा किया गया है। शो का उद्देश्य रामायण की कथा को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करना है, जिससे दर्शकों को प्राचीन कथाओं से जुड़ने का एक नया अनुभव मिले। यह शो न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी दर्शकों को समृद्ध करता है। यह सीरियल रामायण की कहानियों को काकभुशुण्डि ऋषि द्वारा सुनाए जाने के तरीके से प्रस्तुत करता है, जो कि एक कौवे के रूप में हैं। दूरदर्शन की भूमिका दूरदर्शन, भारत का राष्ट्रीय प्रसारक, ने हमेशा भारतीय संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ‘काकभुशुंडी रामायण’ जैसे शो इसके उदाहरण हैं, जो प्राचीन कथाओं को आधुनिक तकनीक के माध्यम से प्रस्तुत करते हैं। इससे दर्शकों को न केवल मनोरंजन मिलता है, बल्कि वे अपनी सांस्कृतिक जड़ों से भी जुड़ते हैं। शिव सागर का लक्ष्य शिव सागर का उद्देश्य टीवी शो “काकभुशुण्डि रामायण” के माध्यम से भगवान राम की अनकही कहानियों को प्रस्तुत करके अपने दादा रामानंद सागर की विरासत का सम्मान करना है। यह शो दुनिया भर के 350 से अधिक रामायण संस्करणों से कहानियां चुनता है, जो भारतीय दर्शकों के अनुकूल हों, तथा इसमें तुलसी रामायण, वाल्मीकि संस्करण, आध्यात्मिक रामायण और बंगाली कृत्तिवासी रामायण के तत्वों को शामिल किया गया है। इस सीरियल में संगीत और वीएफएक्स इस शो में उत्तर प्रदेश और बिहार का संगीत शामिल किया गया है, जो पारिवारिक विरासत को जारी रखता है। यह शो की आत्मा को बनाए रखते हुए कहानी को बढ़ाने के लिए वीएफएक्स और एआई का भी उपयोग करता है। इस शो का अधिक जानकारीयह धारावाहिक पात्रों की पृष्ठभूमि को उजागर करता है तथा इस विषय पर प्रकाश डालता है कि राम, कृष्ण की तरह स्वयं को सदैव भगवान घोषित करने के बजाय, “दशरथपुत्र” थे। इस शो में मल्टीवर्स अवधारणा को भी शामिल किया गया है, जहां काकभुशुण्डि विभिन्न समयसीमाओं की कहानियां सुनाते हैं। इस शो का निर्माण इस शहर में इसका निर्माण संस्कारी नगरी कही जाने वाले गुजरात के वड़ोदरा शहर के लक्ष्मी फिल्म सिटी में हो रही है। इस प्रोजेक्ट को दर्शकों तक पहुंचाने में कलाकारों के साथ डायरेक्टर, कैमरामैन, सेट डिजाइनर, कॉस्ट्यूम डिजाइनर,मेकअप मेन तथा अन्य लोगों की मेहनत भी दर्शकों के मन को मोहित करने वाली है। कलाकारों की कास्टिंग करवाने की जवाबदारी कलाभूमि कास्टिंग कम्पनी द्वारा कुशलता पूर्वक निभाई गई है। कलाभूमि कास्टिंग कम्पनी ने गुजरात तथा मुंबई के तमाम कलाकारों को रामायण में काम करने का सुनहरा अवसर प्रदान किया है। ‘काकभुशुंडी रामायण’ एक ऐसा प्रयास है जो प्राचीन कथाओं को आधुनिक तकनीक के माध्यम से प्रस्तुत करता है। यह शो दर्शकों को रामायण की अनकही कहानियों से परिचित कराता है और उन्हें भारतीय संस्कृति से जोड़ता है। दूरदर्शन जैसे राष्ट्रीय चैनल के माध्यम से इस तरह के शो का प्रसारण भारतीय संस्कृति के संरक्षण और प्रचार में महत्वपूर्ण योगदान है। इस शो की सफलता इस बात का संकेत है कि भारतीय दर्शक अपनी सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ी कहानियों को आधुनिक रूप में देखने के लिए तैयार हैं। ‘काकभुशुंडी रामायण’ जैसे शो भारतीय टेलीविजन के भविष्य की दिशा को निर्धारित करने में सहायक होंगे।

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वीकेंड पर पार्टनर के साथ हर किसी को ये पांच रोमांटिक फिल्में देखनी चाहिए?

वीकेंड पर कपल्स घर में समय बिताने के कई कारण ढूंढते हैं। इन दिन वह ज्यादा से ज्यादा समय अपने पार्टनर के साथ बिताना चाहते हैं, इसलिए वह घर पर ही रहकर नई-नई चीजें करने की सोचते हैं। प्रेम यह एक ऐसा अनुभव है जो न केवल हमारे दिलों को छूता है, बल्कि हमारे जीवन के नजरिए को भी बदल देता है। साहित्य, संगीत और सिनेमा ने हमेशा प्रेम को अपने केंद्र में रखा है। खासकर फ़िल्में, जहाँ हम प्रेम की तमाम परतों को शुरुआत, उलझन और बिछड़न को बेहद खूबसूरती से अनुभव करते हैं। आज हम बात करेंगे उन 5 रोमांटिक फ़िल्मों की, जो हर इंसान को ज़िन्दगी में एक बार ज़रूर देखनी चाहिए, क्योंकि ये न केवल मनोरंजन करती हैं बल्कि दिल को गहराई तक छू जाती हैं। “बड़े-बड़े देशों में ऐसी छोटी-छोटी बातें होती रहती हैं सेनोरिटा।” भारतीय सिनेमा में एक ये मूवी नई पहचान बनाई। शाहरुख ख़ान और काजोल की जोड़ी आज भी सबसे रोमांटिक जोड़ी मानी जाती है। राज और सिमरन की यह कहानी ना केवल एक प्रेम कहानी है, बल्कि यह भारतीय पारिवारिक मूल्यों और आधुनिक सोच के बीच संतुलन का प्रतीक बन गई है। DDLJ में यूरोप की खूबसूरत वादियों से लेकर पंजाब की मिट्टी तक, प्रेम का हर रंग बिखरा हुआ है। फिल्म बताती है कि सच्चा प्यार ज़िद नहीं होता, बल्कि इज़्ज़त और मंज़ूरी का नाम होता है। यह फिल्म आज भी मुंबई के मराठा मंदिर सिनेमा में चल रही है। इसका मतलब है कि यह कहानी समय से परे है। जब यादें मिट जाती हैं, क्या प्रेम भी मिट जाता है? The Notebook एक ऐसी भावनात्मक प्रेम कहानी है, जो समय और भूलने की बीमारी के बावजूद भी अपने प्रेम की गहराई बनाए रखती है। रयान गॉसलिंग और रैचेल मैकएडम्स की यह फ़िल्म दर्शाती है कि सच्चा प्रेम केवल शब्दों का आदान-प्रदान नहीं, बल्कि आत्मा का मेल होता है। फिल्म का अंत भावुक कर देने वाला है। जहाँ उम्र ढल जाती है, शरीर थक जाता है, लेकिन प्रेम अमर रह जाता है। यह फिल्म हमें बताती है कि सच्चा प्यार केवल जवानी तक सीमित नहीं होता, बल्कि वह जीवन के अंतिम पड़ाव तक साथ देता है। “तू वही है, जो सुबह को आफ़ताब बना दे, तू ही है जो रातों को चाँदनी कर दे।” इम्तियाज़ अली की निर्देशित तमाशा केवल एक प्रेम कहानी नहीं, बल्कि आत्म-खोज की यात्रा है। इसमें रणबीर कपूर का किरदार ‘वेद’ और दीपिका पादुकोण की ‘तारा’ के साथ उसकी मुलाक़ात, एक अलग ही दुनिया में ले जाती है। फिल्म का मूल संदेश है। प्यार सिर्फ किसी और से नहीं, अपने सच्चे रूप से भी होता है। जब तक हम खुद को नहीं समझते, तब तक किसी और को भी पूरी तरह से नहीं समझ सकते। इस फिल्म की सिनेमैटोग्राफी, संवाद और संगीत विशेषकर ए. आर. रहमान का संगीत – इसे एक गहराई भरा अनुभव बनाते हैं। अगर आपको किसी से जुड़ी सारी यादें मिटा दी जाएँ, तो क्या आप उससे दोबारा प्यार कर पाएंगे? जिम कैरी और केट विंसलेट की यह अनोखी प्रेम कहानी विज्ञान-कथा और रोमांस का एक दुर्लभ संगम है। फिल्म में जोएल और क्लेमेंटाइन अपनी यादों को मिटवाते हैं ताकि दर्द से बच सकें, लेकिन जब दिल की बात आती है, तो दिमाग कितना भी कोशिश करे, प्यार वापस लौट ही आता है। फिल्म हमें यह सिखाती है कि चाहे हम कितनी भी बार टूटें, प्रेम की प्रकृति ही हमें फिर से जोड़ने की होती है। इसका निर्देशन, पटकथा और अभिनेताओं का अभिनय इसे न केवल एक रोमांटिक बल्कि एक दार्शनिक फिल्म बना देता है। क्या एक रात में हुआ प्यार ज़िन्दगी भर चल सकता है? Before Sunrise एक सरल लेकिन प्रभावशाली प्रेम कहानी है जो एथन हॉक और जूली डेल्पी के पात्रों जेसी और सेलीन के इर्द-गिर्द घूमती है। दोनों यूरोप में ट्रेन यात्रा के दौरान मिलते हैं और विएना की गलियों में रात भर बातें करते हुए एक-दूसरे के करीब आते हैं। फिल्म की खास बात इसका यथार्थवाद है। इसमें कोई नाटकीय मोड़ या फिल्मी क्लाइमेक्स नहीं है, बल्कि यह बातचीत और भावनाओं के जरिए प्रेम को परिभाषित करती है। यह फिल्म बताती है कि सच्चा संबंध उन पलों में पनपता है जो हम किसी के साथ पूरी ईमानदारी और खुलेपन से बिताते हैं। प्यार को समझने का एक माध्यम इन फिल्मों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये प्रेम को केवल “हैप्पी एंडिंग” तक सीमित नहीं रखतीं, बल्कि प्रेम की जटिलताओं, उसके संघर्षों और उसकी स्थायित्व की शक्ति को दर्शाती हैं।हर फिल्म एक अलग परिप्रेक्ष्य से प्यार को देखती है। कहीं वह पारिवारिक मर्यादाओं से टकराता है, कहीं वह स्मृतियों की गहराइयों में छिपा होता है, तो कहीं वह खुद की पहचान खोजने की यात्रा में साथ देता है। अगर आप इन फिल्मों को ध्यान से देखें, तो पाएंगे कि ये न केवल एक प्रेम कहानी हैं, बल्कि हर उस भावना की अभिव्यक्ति हैं जो हम अपने जीवन में महसूस करते हैं – चाहत, पीड़ा, आशा, और कभी-कभी सिर्फ एक पल की ख़ुशी। इन 5 फिल्मों को देखने के बाद शायद आप भी यह कहेंगे।

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